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Penile Flaccidity Best Sexologist in Patna Bihar India

Consult Leading Sexologist Doctor in Patna, Bihar India: Dr. Sunil Dubey for Comprehensive Sexual Therapy

क्या आप पुरुष है और अपने पेनिले के कमजोर स्तंभन से परेशान है? जैसा कि हम सभी जानते है, पुरुष के पेनिले का मुख्य कार्य मूत्र त्याग व संभोग (प्रजनन) से संबंधित है। अतः हम कह सकते है कि –

  • मूत्रत्याग (पेशाब): इसमें मूत्रमार्ग होता है, जो मूत्राशय से मूत्र को शरीर के बाहर ले जाने वाली एक नली है।
  • संभोग (प्रजनन): यह एक अंतःस्रावी अंग के रूप में कार्य करता है। पुरुष के कामोत्तेजना के दौरान, पेनिले के अंदर विशिष्ट स्पंजी ऊतक (कॉर्पोरा कैवर्नोसा और कॉर्पस स्पॉन्जियोसम) रक्त से भर जाता है, जिसके कारण यह सख्त और बड़ा हो जाता है, इस स्थिति को ही इरेक्शन कहा जाता है। मूत्रमार्ग स्खलन के दौरान वीर्य (जिसमें शुक्राणु होते हैं) को भी शरीर से बाहर ले जाता है।

आज का हमारा विषय पनीले के नसों का कमजोर होना, जिसे तंत्रिका क्षति के नाम से भी जाना जाता है, से संबंधित है। बहुत सारे लोगो के अनुरोध पर, आज के इस सत्र में पुरुष के पेनिले के कमजोर व ढ़ीलापन के कारण पर विशेष ध्यान दिया गया है। वास्तव में सेक्सोलोजी विज्ञान के अनुसार, इसे स्तंभन दोष (नपुंसकता) के नाम से जाना जाता है, जो व्यक्ति के उम्र बढ़ने के साथ सामान्य समस्या है। हमारे विश्व-प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे, जो भारत के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर में से एक है, ने अपने शोध-पत्र "स्तम्भन दोष: एक परिचय" में इसका विशेष उल्लेख किया है। आज की यह जानकारी उनके शोध, अनुभव, व दैनिक अभ्यास के आधार पर वर्णित किया गया है। वास्तव में, यह जानकारी उन सभी लोगो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, जो अपने पेनिले के ढ़ीलापन से परेशान है, तथा अपने यौन क्रिया के पर्याप्त स्तंभन न होने के कारण तनाव व निराशा की जिंदगी जी रहे है।

पुरुष के पेनिले की नसों का कमजोर होना जो इसके ढ़ीलापन का कारण बनता है:

डॉ. सुनील दुबे ने अपने शोध-पत्र में यह बताया है कि पुरुष के पेनिले के नसों के कमजोर होने के बहुत सारे शारीरिक व चिकित्सीय कारण होते है जो व्यक्ति को उसके यौन क्रिया में समस्याएँ पैदा करता हैं, परिणामस्वरूप वह स्तंभन दोष (ईडी) (स्तंभन प्राप्त करने या बनाए रखने में असमर्थता) या दर्दनाक संभोग से ग्रसित हो जाता है। यहाँ, उन्होंने उन सभी कारणों में पेनिले के चोट व आघात पर विशेष जोर दिया है, जो व्यक्ति के जाने-अनजाने में उसके समस्त जीवन में घटित होते रहा है।

पेनिले की नसों का कमजोर होने की स्थितियों और चोटों की मुख्य श्रेणियां निम्नलिखित हैं:

आघात और तीव्र चोटें:

वैसे तो यह यह तात्कालिक शारीरिक घटनाएँ हैं, जो व्यक्ति के पेनिले की संरचना को नुकसान पहुँचाती हैं, जो सामान्य स्तंभन के लिए आवश्यक है।

पेनिले का फ्रैक्चर (कॉर्पोरा कैवर्नोसा रप्चर) होना: यह एक चिकित्सीय आपात स्थिति है जिसमें स्तंभन ऊतक (ट्यूनिका एल्ब्यूजिनिया) के चारों ओर का कठोर, रेशेदार आवरण फट जाता है, आमतौर पर जब उत्तेजित पेनीले को ज़ोरदार यौन क्रिया के दौरान बलपूर्वक मोड़ा या ऐठा जाता है। इस स्थिति में, यह ऐंठन या मोड़ पेनिले के फ्रैक्चर होने की संभावना को बढ़ाती है, जिसका अनुभव व्यक्ति को उसके दूसरे यौन मुठभेड़ में पता चलता है।

  • यौन समस्याएँ: स्तंभन में तत्काल कमी होने से, इसमें गंभीर दर्द हो सकता है, और अगर इसका इलाज समय पर न किया जाए, तो अक्सर निशान ऊतक बनने के कारण दीर्घकालिक स्तंभन दोष और पेनिले में टेढ़ापन होने की संभावना को बढ़ाता है।

जननांग आघात: पेनिले, श्रोणि या आसपास के क्षेत्रों में चोट लगने (जैसे, दुर्घटना, खेल या सर्जरी से) से, यह व्यक्ति को उसके स्तंभन प्राप्त करने और उसे बनाए रखने के लिए आवश्यक तंत्रिकाओं और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचा सकता है।

  • यौन समस्याएँ: इस आघात से व्यक्ति में स्तंभन दोष या संवेदना संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।

प्रियपिज़्म: एक लगातार, अक्सर दर्दनाक इरेक्शन जो व्यक्ति में घंटों तक रहता है जो उसके यौन उत्तेजना के कारण नहीं होता है। बल्कि यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति का स्तंभन बिना किसी उत्तेजना के कई घंटो तक रह सकता है, जिससे व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता भी हो सकती है, से संबंध रखता है।

  • यौन समस्याएँ: यह व्यक्ति के लिए एक चिकित्सीय आपात स्थिति हो सकती है, जिसका यदि शीघ्र उपचार न किया जाए, तो स्तंभन ऊतक को स्थायी क्षति हो सकती है, जिससे गंभीर, स्थायी स्तंभन दोष हो सकता है।

घुटन/संकुचन: पेनिले के आधार के चारों ओर एक तंग वस्तु (जैसे अंगूठी) रखना शामिल है। यह व्यक्ति के पेनिले के लिए एक घुटन या संकुचन की स्थिति को जन्म देता है। इससे व्यक्ति को उसके स्तंभन को प्रबंधन में दिक्कत हो सकता है।

  • यौन समस्याएँ: यह स्थिति पेनिले में उसके रक्त प्रवाह को बाधित कर सकता है, जिससे ऊतक और तंत्रिकाओं को स्थायी क्षति हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति में स्तंभन दोष हो सकता है।

दीर्घकालिक स्थितियाँ और विकार:

डॉ. सुनील दुबे, जो पटना के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी है, वे बताते है कि उपयुक्त स्थितियों में पेनिले के ऊतकों में दीर्घकालिक परिवर्तन या क्षति शामिल होती है। जिससे व्यक्ति में स्तंभन दोष का ख़तरा बढ़ जाता है।

पेरोनी रोग: यह पेनिले के अंदर कैंसर रहित निशान ऊतक (प्लाक) का विकास से संबंधित कारक है। इससे व्यक्ति में स्तंभन दोष का ख़तरा बढ़ जाता है।

  • यौन समस्याएँ: निशान ऊतक के कारण पेनिले स्तंभन के दौरान मुड़ जाता है, ऐंठ जाता है या छोटा हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को उसके संभोग में दर्द हो सकता है या प्रवेश मुश्किल या असंभव हो सकता है। यह स्तंभन दोष (इरेक्टाइल डिसफंक्शन) का भी कारण बन सकता है।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ईडी): हालाँकि यह अक्सर अन्य समस्याओं का लक्षण होता है, लेकिन यह अपने आप में एक समस्या है। यह अक्सर रक्त प्रवाह और तंत्रिकाओं को प्रभावित करने वाली स्थितियों के कारण होता है, जैसे:

  • संवहनी समस्याएँ: हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) और उच्च कोलेस्ट्रॉल व्यक्ति के पेनिले को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकते हैं, जिससे पेनिले में दृढ़ स्तंभन के लिए पर्याप्त रक्त नहीं भर पाता।
  • तंत्रिका संबंधी समस्याएँ: स्ट्रोक, रीढ़ की हड्डी की चोट, या मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी बीमारियाँ मस्तिष्क से पेनिले तक तंत्रिका संकेतों को बाधित कर सकती हैं।

फिमोसिस और पैराफिमोसिस (चमड़ी संबंधी समस्याएं):

फाइमोसिस: पेनिले के अग्रभाग (ग्लान्स) पर चमड़ी इतनी कसी हुई होती है कि उसे खींचकर नहीं रखी जा सकती। यह स्तंभन को दर्दनाक बनाता है, जिससे व्यक्ति को यह पीड़ा होती है।

  • यौन समस्या: यह व्यक्ति के इरेक्शन या संभोग के दौरान दर्द का कारण बन सकता है।

पैराफिमोसिस: पीछे की ओर खिंची हुई चमड़ी ग्लान्स के पीछे फँस जाती है और अपनी सामान्य स्थिति में वापस नहीं आ पाती, जिससे दर्दनाक सूजन हो जाती है। यह एक चिकित्सीय आपात स्थिति होती है।

संक्रमण और सूजन (जैसे, बैलेनाइटिस): पेनिले के अग्र भाग या चमड़ी की सूजन (अक्सर यीस्ट या बैक्टीरिया के कारण) से संबंधित है। इससे व्यक्ति को उसके पेनिले में जलन व दर्द की अनुभूति हो सकती है। इस स्थिति में, व्यक्ति का स्तंभन कार्य का बाधित होना लाजिमी है।

  • यौन समस्याएं: यह स्थिति व्यक्ति के लिए दर्द, सूजन, खुजली और स्राव का कारण बन सकती हैं, जिससे इलाज न होने तक यौन क्रिया असुविधाजनक या असंभव हो सकती है।

अन्य स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक कारक:

पुरुष का पेनिले शरीर में एक बड़ी प्रणाली का हिस्सा है, और इसका कार्य समग्र स्वास्थ्य से प्रभावित हो सकता है। जैसे कि हमें पता होना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति में स्तंभन होने की लिए, उसके शरीर के मुख्य प्रणाली जैसे कि स्वस्थ दिमाग, रक्त वाहिका, मांसपेशी, हॉर्मोन, और न्यूरोट्रांसमीटर का समन्वयन अति आवश्यक है। यह अन्य स्वास्थ्य-संबंधी समस्या और मनोवैज्ञानिक कारक को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

  • प्रणालीगत रोग: मधुमेह, हृदय रोग, मोटापा और अत्यधिक शराब का सेवन जैसी स्थितियाँ शरीर में रक्त प्रवाह और तंत्रिका कार्य को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे व्यक्ति में सीधे तौर पर स्तंभन दोष हो सकता है।
  • मनोवैज्ञानिक समस्याएँ: तनाव, अवसाद, प्रदर्शन संबंधी चिंता और रिश्तों की समस्याएँ स्तंभन प्राप्त करने के लिए आवश्यक मस्तिष्क संकेतों और उत्तेजना में बाधा डाल सकती हैं, जिससे व्यक्ति में स्तंभन दोष हो सकता है।
  • दवाओं के दुष्प्रभाव: कुछ निर्धारित दवाओं (जैसे, रक्तचाप, अवसाद या प्रोस्टेट संबंधी समस्याओं के लिए) के दुष्प्रभाव के रूप में व्यक्ति में स्तंभन दोष हो सकता है।

पुरुष के पेनिले के ढीलेपन के कारण:

डॉ. सुनील दुबे ने अपने शोध-पत्र में यह बताया है कि शब्द "पेनाइल फ्लैसिडिटी" (पेनिले का ढ़ीलापन) कई अलग-अलग अवधारणाओं को संदर्भित करता है, जो आमतौर पर निम्नलिखित से संबंधित हैं:

  • इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ईडी): संभोग के लिए पर्याप्त इरेक्शन प्राप्त करने या बनाए रखने में असमर्थता। यह सबसे आम कारण में से एक है।
  • पेनिले की शिथिल दृढ़ता या शिथिलता/सिकुड़न (उत्तेजित न होने पर): उत्तेजित न होने पर पेनिले के आकार या लचीलेपन में परिवर्तन।

इनमें से प्रत्येक से जुड़े कारण इस प्रकार हैं:

1. स्तंभन दोष (दृढ़ता/कठोरता की कमीके कारण:

स्तंभन क्रिया में मस्तिष्क, हार्मोन, तंत्रिकाओं, मांसपेशियों और रक्त वाहिकाओं के बीच एक जटिल अंतर्क्रिया शामिल होती है। इनमें से किसी भी क्षेत्र में समस्या व्यक्ति के लिए उसके स्तंभन दोष का कारण बन सकती है।

शारीरिक कारण (सबसे आम):

  • हृदय संबंधी समस्या: हृदय रोग, एथेरोस्क्लेरोसिस (रक्त वाहिकाओं का अवरुद्ध होना), उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियाँ पेनिले में रक्त प्रवाह को बाधित करता हैं, जो स्तंभन के लिए आवश्यक है।
  • मधुमेह: इससे स्तंभन को नियंत्रित करने वाली रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं (न्यूरोपैथी) को नुकसान पहुँच सकता है।
  • मोटापा और मेटाबोलिक सिंड्रोम: ये अक्सर खराब हृदय स्वास्थ्य से जुड़े होते हैं।
  • हार्मोनल समस्याएँ: कम टेस्टोस्टेरोन (हाइपोगोनाडिज्म) या अन्य हार्मोनल असंतुलन।
  • तंत्रिका संबंधी विकार: मल्टीपल स्क्लेरोसिस, पार्किंसंस रोग, रीढ़ की हड्डी की चोट, या सर्जरी (विशेषकर प्रोस्टेट या मूत्राशय की सर्जरी) से तंत्रिका क्षति।
  • पेरोनी रोग: पेनिले के अंदर निशान ऊतक (प्लाक) का विकास, जो टेढ़ापन और कमज़ोर स्तंभन का कारण बनता है।
  • दवाइयाँ: कई प्रिस्क्रिप्शन दवाइयाँ स्तंभन दोष का कारण बन सकती हैं या इसमें योगदान दे सकती हैं, जिनमें कुछ अवसादरोधी दवाइयाँ, रक्तचाप की दवाइयाँ, एंटीहिस्टामाइन और प्रोस्टेट कैंसर के उपचार शामिल हैं।
  • जीवनशैली कारक: धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन और अवैध नशीली दवाओं का उपयोग करने से शरीर में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचाता है।

मनोवैज्ञानिक कारण:

  • तनाव और चिंता: व्यक्ति का उसके प्रदर्शन संबंधी चिंता, काम या घर से तनाव, या इरेक्शन पाने या बनाए रखने की चिंता; ये सभी स्तंभन कार्य को प्रभावित करते है।
  • मानसिक स्वास्थ्य स्थितियाँ: अवसाद, सामान्यीकृत चिंता विकार, और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ; यह व्यक्ति को मानसिक रूप से उसके स्तंभन कार्य को बाधित करते है।
  • संबंध समस्याएँ: साथी के साथ मनमुटाव या संवाद संबंधी समस्याएँ, यह स्थिति व्यक्ति के कामेक्षा को प्रभावित करता है।
  • पूर्व का यौन इतिहास: यह यौन आघात व्यक्ति के जीवन में उसके पूर्व समय का इतिहास से संबंधित होता है, जो समय-समय व्यक्ति के उसके स्तंभन व उत्तेजना को प्रभावित करते है।

2. शिथिल पेनिले की दृढ़ता या लोच में कमी के कारण:

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन में परिवर्तन कभी-कभी व्यक्ति के लिए उसका चिंता का कारण हो सकता है, और अक्सर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसी ही अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा होता है। शिथिल पेनिले की दृढ़ता या लोच में कमी के निम्नलिखित कारण हो सकते है:

  • उम्र बढ़ना: उम्र के साथ, पेनिले के ऊतकों की लोच स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है (चिकनी पेशी कोशिकाओं के क्षय और कोलेजन में परिवर्तन के कारण), जिससे शिथिल पेनिले कम दृढ़ और कभी-कभी थोड़ा छोटा दिखाई दे सकता है।
  • रक्त प्रवाह में कमी: हृदय रोग, मधुमेह और धूम्रपान जैसी स्थितियाँ पेनिले में ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रवाह को कम कर देती हैं। नियमित, पूर्ण स्तंभन (यहाँ तक कि रात्रिकालीन स्तंभन भी) की कमी से ऊतक की लोच में कमी और रेशेदार ऊतक (कॉर्पोरल फाइब्रोसिस) का निर्माण हो सकता है।
  • पेरोनी रोग: इस स्थिति के कारण उत्पन्न निशान ऊतक, शिथिल अवस्था में भी, पेनिले के लचीलेपन और लंबाई को कम कर सकते हैं।
  • प्रोस्टेट सर्जरी (प्रोस्टेटेक्टॉमी): प्रोस्टेट को हटाने से कभी-कभी तंत्रिकाओं और रक्त वाहिकाओं पर प्रभाव के कारण पेनिले अस्थायी या स्थायी रूप से छोटा हो सकता है और व्यक्ति का उसके स्तंभन में परिवर्तन हो सकता है।
  • मोटापा: पेट के निचले हिस्से में अतिरिक्त चर्बी पेनिले के आधार को आंशिक रूप से छिपा सकती है, जिससे यह छोटा दिखाई देता है (जिसे कभी-कभी "दफन पेनिले" भी कहा जाता है) ।
  • कठोर शिथिल सिंड्रोम: यह एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें पेनिले लगातार अर्ध-कठोर, अर्ध-शिथिल अवस्था में रहता है, जिसे पेल्विक फ्लोर मांसपेशी की शिथिलता, चोट और चिंता से संबंधित माना जाता है।

यदि कोई व्यक्ति अपने पेनिले की दृढ़ता या कार्यक्षमता में कोई परिवर्तन महसूस कर रहा हैं, तो उचित निदान और उपचार योजना के लिए किसी अच्छे यौन स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर, जैसे कि क्लीनिकल सेक्सोलॉजिस्ट या अपने प्राथमिक देखभाल चिकित्सक से परामर्श कर सकता है।

आयुर्वेद पेनिले की तंत्रिका को मजबूत बनाने में मददगार:

हमारे आयुर्वेदाचार्य व भारत के टॉप-रैंक सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. सुनील दुबे का मानना है कि आयुर्वेद पुरुष यौन स्वास्थ्य, जिसमें पेनिले की शक्ति और कार्यक्षमता भी शामिल है, को एक समग्र प्रणाली के माध्यम से देखता है जिसका उद्देश्य शरीर की ऊर्जाओं (दोषों) को संतुलित करना और प्रजनन ऊतकों (शुक्र धातु) को पोषण देना शामिल है। आयुर्वेद का यह उपचार अक्सर वाजीकरण नामक एक विशेष शाखा के अंतर्गत किया जाता हैं, जो कामोत्तेजक, जीवन शक्ति और संतान की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है।

आयुर्वेद पुरुष के यौन स्वास्थ्य के बेहतरी में निम्नलिखित रूप में सहायक होता है:

1. हर्बल और हर्बो-मिनरल फॉर्मूले:

आयुर्वेद विशिष्ट जड़ी-बूटियों और यौगिकों का उपयोग करता है, जिन्हें अक्सर प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ कहा जाता है, और ऐसा माना जाता है कि ये निम्नलिखित रूप से व्यक्ति के यौन व प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का कार्य करता है।

  • रक्त प्रवाह में सुधार: यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है, विशेष रूप से जननांग क्षेत्र में, जो एक मजबूत स्तंभन प्राप्त करने और उसे बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • जीवन शक्ति में बढ़ोतरी: इसे शरीर के सभी ऊतकों का सबसे महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है, जो प्रतिरक्षा, शक्ति और समग्र जीवन शक्ति, जिसमें यौन स्वास्थ्य भी शामिल है, के लिए ज़िम्मेदार कारक है।
  • हार्मोन संतुलन: यह हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, विशेष रूप से टेस्टोस्टेरोन, जो कामेच्छा और स्तंभन कार्य के लिए आवश्यक है।
  • तनाव और चिंता को कम करना: चूँकि मनोवैज्ञानिक कारक अक्सर यौन रोग में योगदान देते हैं, इसलिए कई जड़ी-बूटियाँ तनाव को कम करने के लिए एडाप्टोजेन्स के रूप में कार्य करती हैं। यह व्यक्ति के उसके यौन चिंता विकार को भी दूर करने में मदद करता है।
  • ओजस का निर्माण: यह शरीर के ओजस के निर्माण का समर्थक है जिससे व्यक्ति में सहनशीलता की वृद्धि होती है।

सामान्यतः उद्धृत जड़ी-बूटियों में शामिल हैं:

  • अश्वगंधा (विथानिया सोम्नीफेरा): तनाव कम करने वाले, यह अपने एडाप्टोजेनिक गुणों के लिए जाना जाता है, यह व्यक्ति के उसके कामेच्छा, सहनशक्ति और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में सहायक होता है।
  • शिलाजीत: यह एक खनिज-समृद्ध राल है, जिसे कायाकल्पक माना जाता है, जो सहनशक्ति, कामेच्छा और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में सक्षम है और स्तंभन दोष में सुधार करने में मदद करता है।
  • सफ़ेद मूसली (क्लोरोफाइटम बोरिविलियनम): यह अक्सर यौन इच्छा बढ़ाने और सहनशक्ति में सुधार के लिए कामोत्तेजक के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • कौंच बीज (मुकुना प्रुरिएंस): इसमें एल-डोपा होता है, जो डोपामाइन का एक अग्रदूत है, जो मूड को बेहतर बनाने और कामेच्छा और यौन क्रिया को बढ़ाने में मदद करता है।
  • गोक्षुरा (ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस): पुरुष यौन स्वास्थ्य में सुधार, कामेच्छा बढ़ाने और टेस्टोस्टेरोन के स्तर में सुधार के लिए उपयोग किया जाता है।

2. विषहरण:

आयुर्वेद के एक विशेष शाखा "विषहरण चिकित्साओं का एक समूह" जैसे उपचारों की सिफारिश की जा सकती है:

  • रक्त संचार में सुधार: शरीर से उन सभी विषाक्त पदार्थों को हटाना, जो प्रजनन अंगों तक रक्त और पोषक तत्वों के प्रवाह में बाधा डाल सकते हैं।
  • शरीर को तैयार करना: नलिकाओं को साफ़ करना ताकि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ और उपचार अधिक प्रभावी हों।

3. बाह्य चिकित्साएँ:

हर्बल तेल मालिश (अभ्यंग): विशिष्ट हर्बल तेलों (जैसे आयुर्वेदिक सूत्रीकरण निर्मित तेल) से मालिश पारंपरिक रूप से श्रोणि और पेनिले क्षेत्र पर की जाती है। हालाँकि आकार बढ़ाने के लिए यह सिद्ध नहीं, लेकिन ऐसा माना जाता है कि ये मालिश ऊतकों को मज़बूत बनाने और स्थानीय रक्त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करती हैं, जिससे पेनिले में उत्तेजना की गुणवत्ता और समग्र यौन जीवन शक्ति में सुधार करने में मदद मिलती है।

4. जीवनशैली और आहार:

आयुर्वेद अपने उपचार में एक समग्र दृष्टिकोण के महत्व पर जोर देता है:

  • तनाव प्रबंधन: तनाव और चिंता को कम करने के लिए अक्सर योग और ध्यान जैसी तकनीकों की सलाह दी जाती है, जो स्वस्थ यौन क्रिया में आम बाधाएँ हैं।
  • आहार में बदलाव: पौष्टिक, आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों और विशिष्ट कामोत्तेजक खाद्य पदार्थों (जैसे दूध, घी, मेवे और विशिष्ट मसाले) से भरपूर आहार लेने की सलाह दी जाती है।
  • व्यायाम: कीगल व्यायाम जैसे व्यायामों सहित नियमित शारीरिक गतिविधि, पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकती है, जो स्तंभन क्रिया को बढ़ावा देती हैं।
  • पर्याप्त नींद: हार्मोनल नियंत्रण और समग्र जीवन शक्ति के लिए उचित आराम आवश्यक माना जाता है।

महत्वपूर्ण बाते: आयुर्वेद में "पेनिले शक्ति" की अवधारणा आम तौर पर स्तंभन क्रिया (स्तंभन प्राप्त करना और बनाए रखना), सहनशक्ति और समग्र यौन जीवन शक्ति में सुधार को संदर्भित करती है, न कि शारीरिक आकार में किसी स्थायी परिवर्तन को, जो आमतौर पर यौवन के बाद स्वाभाविक रूप से नहीं माना जाता है। अतः किसी भी आयुर्वेदिक उपचार या थेरेपी को शुरू करने से पहले, उचित निदान प्राप्त करने, अपने विशिष्ट शरीर के प्रकार को समझने और एक सुरक्षित, व्यक्तिगत उपचार योजना प्राप्त करने के लिए किसी योग्य आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट चिकित्सक से परामर्श करने की दृढ़ता से शिफारिश की जाती है।

पेनिले का ढीलापन को कम करने के घरेलू उपाय:

अगर सच कहा जाय तो पेनिले को ढीलापन को दूर करने को कोई भी प्रामाणिक घरेलु उपचार प्राप्य नहीं है। हाँ, यह सही है कि लिंग तंत्रिका के कार्य और समग्र यौन स्वास्थ्य में सुधार के लिए कुछ सामान्य कार्य शामिल है जो व्यक्ति के उसके स्तंभन दोष (ईडी) या शीघ्रपतन (पीई) जैसी समस्याओं के समाधान के संदर्भ में होता है, जो रक्त प्रवाह, मांसपेशियों की मजबूती और तंत्रिका संवेदनशीलता से संबंधित होते हैं। सभी व्यक्ति को यह दृढ़ता से अनुशंसा की जाती है कि किसी भी यौन रोगी को सटीक निदान और उचित उपचार योजना के लिए किसी अच्छे व अनुभवी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर, जैसे सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर या मूत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

कुछ सामान्य घरेलू सुझाव, जो अक्सर तंत्रिका और रक्त प्रवाह सहित पुरुष यौन स्वास्थ्य में सुधार से जुड़े होते हैं, ये निम्नलिखित हैं:

पेल्विक फ्लोर व्यायाम (कीगल्स): ये व्यायाम पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मज़बूत करते हैं, जो पेनिले में रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने, स्तंभन और स्खलन को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस व्यायाम को नियमित रूप से करने पर व्यक्ति के यौन स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

  • मांसपेशियों को कैसे खोजें: अपने पेशाब को बीच में ही रोकने की कोशिश करें, या उन मांसपेशियों को सिकोड़ें जिनका इस्तेमाल आप गैस को रोकने के लिए करते हैं। ये पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां हैं।
  • तकनीक: मांसपेशियों को खोजने के बाद, उन्हें 3 से 10 सेकंड तक गिनते हुए कसें, फिर उतनी ही देर तक आराम करें। इसे दिन में तीन बार, प्रति सेट 10-15 बार दोहराएँ।

एरोबिक व्यायाम: नियमित हृदय संबंधी व्यायाम (जैसे तेज़ चलना, दौड़ना, तैरना, या साइकिल चलाना) सप्ताह में चार बार, कम से कम 40 मिनट तक करने से हृदय संबंधी स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, जो पेनिले में पर्याप्त रक्त प्रवाह के लिए आवश्यक है।

स्वस्थ आहार: भूमध्यसागरीय आहार की तरह, फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, मछली और कम वसा वाले मांस से भरपूर संतुलित आहार, रक्त वाहिकाओं के समग्र स्वास्थ्य और फलस्वरूप, स्तंभन कार्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

जीवनशैली प्रबंधन:

  • तनाव का प्रबंधन के लिए: योग, ध्यान और गहरी साँस लेने जैसी तकनीकें तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकती हैं, जो यौन क्रिया पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
  • धूम्रपान से बचें और शराब का सेवन सीमित करें: दोनों ही रक्त प्रवाह पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
  • स्वस्थ वज़न बनाए रखें: मोटापा इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ईडी) का कारण बनने वाली स्थितियों का एक जोखिम कारक है।

यदि किसी व्यक्ति को उसके पेनिले के कार्य या संवेदना से संबंधित कोई चिकित्सीय समस्या हो रही है, तो उसे यौन स्वास्थ्य पेशेवर चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए। स्व-उपचार करने से आवश्यक पेशेवर देखभाल में देरी हो सकती है। दुबे क्लिनिक भारत का एक विश्वशनीय आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी मेडिकल साइंस क्लिनिक है, जो सभी प्रकार के गुप्त व यौन रोगियों को समस्या उपचार प्रदान करती है।

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