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पीसीओएस क्या है?
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पी.सी.ओ.एस) एक आम हार्मोनल विकार है जो आमतौर पर प्रजनन आयु की महिलाओं को प्रभावित करता है। वैसे तो, यह महिलाओं में कई तरह के लक्षणों वाली एक जटिल स्थिति है, और इसका सटीक कारण पूरी तरह से अभी तक समझा नहीं गया है, लेकिन यह संभवतः आनुवंशिक, हार्मोनल और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से जुड़ा हुआ है।
पीसीओएस का अर्थ:
पीसीओएस का मतलब पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है। यह एक आम हार्मोनल विकार है जो प्रजनन आयु की महिलाओं को प्रभावित करता है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में अनियमित या लंबे समय तक मासिक धर्म या पुरुष 1 हार्मोन (एंड्रोजन) का उच्च स्तर हो सकता है। अंडाशय में तरल पदार्थ (फॉलिकल्स) के कई छोटे संग्रह विकसित हो सकते हैं और नियमित रूप से अंडे जारी करने में विफल हो सकते हैं।
सरल शब्दों में कहे तो पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिला के अंडाशय ठीक से काम नहीं करते हैं, जिससे उनके मासिक धर्म, हार्मोन के स्तर और कभी-कभी अंडाशय पर छोटे सिस्ट दिखाई देने की समस्या उत्पन्न होती है।
यहाँ इसका अर्थ बताया गया है:
- पॉलीसिस्टिक: यह अंडाशय पर कई छोटे, द्रव से भरे थैलियों (रोम) की उपस्थिति को संदर्भित करता है जिन्हें अल्ट्रासाउंड के दौरान देखा जा सकता है। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पीसीओएस वाली सभी महिलाओं में ये सिस्ट नहीं होते हैं, और पीसीओएस के बिना कुछ महिलाओं में ये होते हैं। सिस्ट स्वयं प्राथमिक समस्या नहीं हैं।
- अंडाशय: यह दो महिला प्रजनन अंगों में से एक है जो अंडे और एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का उत्पादन करता है।
- सिंड्रोम: इसका मतलब है कि यह लक्षणों का एक समूह है जो लगातार एक साथ होते हैं और एक विशेष चिकित्सा स्थिति की विशेषता रखते हैं, न कि एक ही कारण वाली एक बीमारी।
पीसीओएस की मुख्य विशेषताएँ (अक्सर निदान के लिए उपयोग की जाती हैं):
विशेषज्ञ या डॉक्टर आमतौर पर पीसीओएस का निदान तब करते हैं जब किसी महिला में निम्नलिखित तीन विशेषताओं में से कम से कम दो विशेषताएँ उसमें शामिल होती हैं (अन्य स्थितियों को खारिज करने के बाद):
अनियमित या अनुपस्थित मासिक धर्म (ओलिगो-ओव्यूलेशन या एनोव्यूलेशन): इसका मतलब यह होता है कि महिलाओं में उनके अंडाशय नियमित रूप से अंडे नहीं छोड़ते हैं। इससे उनके मासिक धर्म अनियमित, लंबे समय तक या पूरी तरह से अनुपस्थित हो सकते हैं।
एण्ड्रोजन का उच्च स्तर (हाइपरएंड्रोजेनिज्म): एण्ड्रोजन को अक्सर "पुरुष हार्मोन" कहा जाता है, हालाँकि महिलाएँ भी कम मात्रा में इनका उत्पादन करती हैं। इस पीसीओएस की स्थिति में, महिलाओं में इसका सामान्य से अधिक स्तर हो सकता है, जिससे उनमे निम्नलिखित शारीरिक लक्षण दिखाई देते हैं जैसे:
- चेहरे, छाती, पीठ या पेट पर अत्यधिक बाल का उगना (हिर्सुटिज्म)।
- मुंहासे का होना (अक्सर गंभीर या लगातार) ।
- गंजापन या सिर पर बालों का पतला होना।
- तैलीय त्वचा का होना।
पॉलीसिस्टिक अंडाशय: इस स्थिति में अल्ट्रासाउंड में, महिलाओं के अंडाशय बढ़े हुए दिखाई दे सकते हैं और उनमें अंडों के चारों ओर कई छोटे रोम (द्रव से भरे थैले) हो सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पीसीओएस वाली सभी महिलाओं में पॉलीसिस्टिक अंडाशय नहीं होते हैं, और पॉलीसिस्टिक अंडाशय वाली कुछ महिलाओं में पीसीओएस नहीं होता है। "पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम" नाम सुनने में भ्रामक हो सकता है क्योंकि इसमें सिस्ट स्वयं प्राथमिक समस्या नहीं हैं।
क्या PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) एक बीमारी है?
जी हां, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक सामान्य हार्मोनल विकार और दुनिया भर में प्रजनन आयु की महिलाओं में सबसे आम अंतःस्रावी रोग (एंडोक्राइन रोग) माना जाता है।
इसे रोग या स्थिति के रूप में क्यों वर्गीकृत किया गया है, इसका कारण निम्नलिखित है:
- यह पहचाने जाने योग्य विशेषताओं वाली एक चिकित्सा स्थिति है: PCOS को विशिष्ट मानदंडों के एक सेट द्वारा परिभाषित किया जाता है, सबसे आम तौर पर रॉटरडैम मानदंड, जिसमें अनियमित या अनुपस्थित ओव्यूलेशन, हाइपरएंड्रोजेनिज्म (एण्ड्रोजन के उच्च स्तर) के नैदानिक या जैव रासायनिक लक्षण और अल्ट्रासाउंड पर पॉलीसिस्टिक अंडाशय शामिल हैं (हालांकि PCOS वाली सभी महिलाओं में सिस्ट नहीं होते हैं) ।
- इसके संभावित रूप से नकारात्मक स्वास्थ्य परिणाम हैं: PCOS कई दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है, जिसमें टाइप 2 मधुमेह, गर्भावधि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, एंडोमेट्रियल कैंसर, स्लीप एपनिया और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे चिंता और अवसाद शामिल हैं।
- इसके लिए चिकित्सा प्रबंधन की आवश्यकता होती है: जबकि जीवनशैली में बदलाव PCOS को प्रबंधित करने में काफी मदद कर सकते हैं, लेकिन विशिष्ट लक्षणों को संबोधित करने, मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने, प्रजनन क्षमता में सुधार करने और जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए अक्सर दवाओं जैसे चिकित्सा हस्तक्षेप आवश्यक होते हैं।
- इसका एक शारीरिक आधार है: PCOS में हार्मोनल असंतुलन, विशेष रूप से ऊंचा एण्ड्रोजन और अक्सर इंसुलिन प्रतिरोध शामिल होता है, जो अंडाशय और अन्य शारीरिक प्रणालियों के सामान्य कामकाज को प्रभावित करता है।
हालाँकि पीसीओएस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन यह एक मान्यता प्राप्त चिकित्सा स्थिति है जिसके लक्षणों को कम करने और संभावित स्वास्थ्य जोखिमों को रोकने के लिए निरंतर प्रबंधन की आवश्यकता होती है। यह केवल यादृच्छिक लक्षणों का संग्रह नहीं है, बल्कि हार्मोनल और चयापचय कारकों के जटिल परस्पर क्रिया वाला एक सिंड्रोम है।
पीसीओएस के सामान्य लक्षण:
यहाँ कुछ सामान्य लक्षण दिए गए हैं जो पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) वाली महिलाओं को हो सकते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि पीसीओएस वाली हर महिला में ये सभी लक्षण नहीं होंगे, और गंभीरता व्यक्ति से व्यक्ति में बहुत भिन्न हो सकती है। मुख्य निदान मानदंडों के अलावा, पीसीओएस वाली महिलाओं में कई अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
मासिक धर्म चक्र और ओव्यूलेशन से संबंधित:
- अनियमित पीरियड्स (ओलिगो-ओव्यूलेशन): यह एक प्रमुख लक्षण है। इसमें पीरियड्स कम हो सकते हैं (प्रति वर्ष 8 से कम पीरियड्स), चक्रों के बीच लंबा अंतराल (35 दिनों से अधिक) का होना।
- अनुपस्थित पीरियड्स (अमेनोरिया): पीसीओएस से पीड़ित कुछ महिलाओं को पीरियड्स आना पूरी तरह से बंद हो सकता है।
- भारी या लंबे समय तक पीरियड्स (मेनोरेजिया): हालांकि अनियमित पीरियड्स की तुलना में कम आम है, लेकिन पीसीओएस से पीड़ित कुछ महिलाओं को असामान्य रूप से भारी या लंबे समय तक मासिक धर्म रक्तस्राव का अनुभव हो सकता है।
- गर्भधारण करने में कठिनाई (बांझपन): अनियमित या अनुपस्थित ओव्यूलेशन के कारण, स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
उच्च एंड्रोजन स्तर (हाइपरएंड्रोजेनिज्म) से संबंधित:
- अत्यधिक बाल विकास (हिर्सुटिज्म): यह पुरुष-पैटर्न वितरण में मोटे, काले बालों की वृद्धि से संबंधित है, जैसे कि चेहरे (ठोड़ी, ऊपरी होंठ, साइडबर्न), छाती, पीठ, पेट के निचले हिस्से और भीतरी जांघों पर।
- मुंहासे: यह अक्सर लगातार, और गंभीर चेहरे, छाती और पीठ पर हो सकते हैं।
- पुरुष-पैटर्न गंजापन या बालों का पतला होना (एलोपेसिया): सिर पर बालों का झड़ना जो पुरुषों में देखे जाने वाले पैटर्न जैसा होता है।
- तैलीय त्वचा (सेबोरिया)।
अन्य सामान्य लक्षण:
- वजन बढ़ना या वजन कम करने में कठिनाई होना: पीसीओएस से पीड़ित कई महिलाओं को वजन बढ़ने का अनुभव होता है, खासकर पेट के आसपास, और उनके बहुत प्रयासों के बावजूद वजन कम करना मुश्किल हो सकता है।
- त्वचा का काला पड़ना (एकैंथोसिस निग्रिकेंस): गर्दन, बगल और कमर जैसी शरीर की सिलवटों में त्वचा के गहरे, मखमली पैच दिखाई दे सकते हैं। यह अक्सर इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ा होता है।
- त्वचा टैग: इसमें अतिरिक्त त्वचा के छोटे-छोटे टुकड़े, जो अक्सर बगल या गर्दन की सिलवटों में पाए जाते हैं।
- थकान: व्यक्ति को लगातार थकावट और कम ऊर्जा स्तर का होना।
- मूड में बदलाव: इस स्थिति में, चिंता और अवसाद का जोखिम का खतरा बढ़ जाता है।
- नींद की समस्याएँ: इसमें स्लीप एपनिया (नींद के दौरान सांस लेने में रुकावट) शामिल है।
- सिरदर्द व भारीपन महसूस होना।
संबंधित स्वास्थ्य जोखिम:
पीसीओएस होने से महिलाओं में अन्य स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- टाइप 2 मधुमेह: पीसीओएस वाली कई महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध होता है, जिससे उच्च रक्त शर्करा का स्तर होने की संभावना हो सकती है।
- गर्भकालीन मधुमेह: गर्भावस्था के दौरान विकसित होने वाला मधुमेह का जोखिम।
- उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) का होना।
- उच्च कोलेस्ट्रॉल का होना।
- हृदय रोग की समस्या।
- एंडोमेट्रियल कैंसर: अनियमित मासिक धर्म के कारण, गर्भाशय की परत मोटी हो सकती है, जिससे महिलाओं में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
- स्लीप एपनिया (नींद की समस्या) ।
- गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग का बढ़ना।
महत्वपूर्ण विचार:
- परिवर्तनशीलता: PCOS की प्रस्तुति में काफी भिन्नता हो सकती है। कुछ महिलाओं में केवल कुछ हल्के लक्षण हो सकते हैं, जबकि अन्य को अधिक गंभीर समस्याओं की एक विस्तृत श्रृंखला का अनुभव होता है।
- PCOS वाली सभी महिलाओं में पॉलीसिस्टिक अंडाशय नहीं होते हैं: इस स्थिति में नाम से सिस्ट का पता चलता है, PCOS वाली सभी महिलाओं के अंडाशय पर अल्ट्रासाउंड के दौरान कई छोटे रोम दिखाई नहीं देते। इसके विपरीत, PCOS के बिना कुछ महिलाओं के अंडाशय पॉलीसिस्टिक दिख सकते हैं।
- निदान के लिए कारकों के संयोजन की आवश्यकता होती है: डॉक्टर आमतौर पर मासिक धर्म के इतिहास, हाइपरएंड्रोजेनिज्म के संकेतों और अल्ट्रासाउंड निष्कर्षों (अन्य स्थितियों को खारिज करने के बाद) के संयोजन के आधार पर PCOS का निदान करते हैं।
यदि आप इनमें से कई लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो उचित मूल्यांकन और निदान के लिए किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। प्रारंभिक निदान और प्रबंधन पीसीओएस से जुड़ी दीर्घकालिक स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
पीसीओएस का निदान:
पीसीओएस के निदान के लिए कोई एकल परीक्षण नहीं है। डॉक्टर आमतौर पर निम्नलिखित के संयोजन पर भरोसा करते हैं:
- चिकित्सा इतिहास: मासिक धर्म चक्र, लक्षण और पारिवारिक इतिहास के बारे में जानकारी लेना।
- शारीरिक परीक्षण: हर्सुटिज्म और मुंहासे जैसे अतिरिक्त एण्ड्रोजन के लक्षणों की जाँच करना।
- पैल्विक परीक्षा: अंडाशय और अन्य प्रजनन अंगों की जाँच करना।
- अल्ट्रासाउंड: अंडाशय में सिस्ट की जाँच करना और गर्भाशय की परत का आकलन करना।
- रक्त परीक्षण: हार्मोन के स्तर (एण्ड्रोजन, एस्ट्रोजन, एलएच, एफएसएच), ग्लूकोज और कोलेस्ट्रॉल को मापने के लिए।
पीसीओएस का उपचार:
वास्तव में देखा जाय तो पीसीओएस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार व्यक्तिगत लक्षणों को प्रबंधित करने और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम करने पर केंद्रित होता है। उपचार की रणनीतियाँ महिला की विशिष्ट ज़रूरतों के अनुसार बनाई जाती हैं और इसमें ये शामिल हो सकते हैं:
जीवनशैली में बदलाव: वजन कम करना (यहाँ तक कि थोड़ी मात्रा में भी), स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम से इंसुलिन प्रतिरोध, अनियमित मासिक धर्म और प्रजनन क्षमता सहित कई पीसीओएस लक्षणों में काफी सुधार हो सकता है।
मासिक धर्म को नियमित करने के लिए दवाएँ: गर्भनिरोधक गोलियाँ (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन युक्त) या प्रोजेस्टिन थेरेपी मासिक धर्म चक्र को नियमित करने और एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती हैं।
अतिरिक्त एण्ड्रोजन को प्रबंधित करने के लिए दवाएँ: गर्भनिरोधक गोलियाँ, एंटी-एण्ड्रोजन दवाएँ, और सामयिक क्रीम हिर्सुटिज़्म और मुँहासे को कम करने में मदद कर सकती हैं।
प्रजनन क्षमता में सुधार करने के लिए दवाएँ: क्लोमीफ़ीन, लेट्रोज़ोल और मेटफ़ॉर्मिन ओव्यूलेशन को उत्तेजित करने में मदद कर सकते हैं। गोनैडोट्रोपिन का उपयोग अधिक जटिल मामलों में किया जा सकता है।
इंसुलिन प्रतिरोध और मधुमेह के जोखिम को प्रबंधित करने के लिए दवाएँ: इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार के लिए अक्सर मेटफ़ॉर्मिन निर्धारित किया जाता है।
अन्य लक्षणों के लिए उपचार: मुँहासे, बालों के झड़ने और अन्य संबंधित स्थितियों के लिए दवाएँ।
सहायक प्रजनन तकनीक (ART): जैसे कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) उन महिलाओं के लिए जिन्हें गर्भधारण करने में कठिनाई होती है।
PCOS के प्रबंधन के लिए अक्सर डॉक्टरों, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, सेक्सोलॉजिस्ट, स्त्री रोग विशेषज्ञों, त्वचा विशेषज्ञों और आहार विशेषज्ञों को शामिल करने वाले बहु-विषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। प्रारंभिक निदान और प्रबंधन लक्षणों को कम करने और दीर्घकालिक स्वास्थ्य जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकता है।
पीसीओएस का इलाज कैसे किया जाता है?
डॉ. सुनील दुबे, जो बिहार के सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर है, बताते है कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के लिए उपचार व्यक्तिगत लक्षणों के प्रबंधन और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम करने पर केंद्रित है। चूंकि पीसीओएस विभिन्न अभिव्यक्तियों वाला एक सिंड्रोम है, इसलिए उपचार अत्यधिक व्यक्तिगत होता है जिसमे व्यक्ति की उम्र, उसके लक्षणों की गंभीरता, उसके समग्र स्वास्थ्य और वह गर्भवती होने की योजना बना रही हैं या नहीं जैसे कारकों पर निर्भर करता है।
यहाँ सामान्य उपचार दृष्टिकोणों का विवरण दिया गया है:
जीवनशैली में बदलाव:
ये प्रायः प्रथम-पंक्ति की सिफारिशें होती हैं और पीसीओएस के कई लक्षणों में महत्वपूर्ण सुधार ला सकती हैं:
वजन घटाना: व्यक्ति को 5-10% तक का मामूली वजन घटाना भी इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार कर सकता है, मासिक धर्म चक्र को विनियमित कर सकता है, एंड्रोजन के स्तर को कम कर सकता है और प्रजनन क्षमता में सुधार कर सकता है। यदि आवश्यक हो तो एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता वजन नियंत्रण कार्यक्रम की सिफारिश कर सकता है और एक पंजीकृत आहार विशेषज्ञ से परामर्श करने का सुझाव दे सकता है।
स्वस्थ आहार: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार लेना स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
- रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और मीठे खाद्य पदार्थों को सीमित करें: ये इंसुलिन प्रतिरोध को खराब कर सकते हैं। साबुत अनाज, फलियां, फल और सब्जियों में पाए जाने वाले कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले जटिल कार्बोहाइड्रेट पर ध्यान दें।
- फाइबर का सेवन बढ़ाएँ: उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकते हैं।
- स्वस्थ वसा शामिल करें: एवोकाडो, नट्स, बीज और जैतून का तेल जैसे स्रोत फायदेमंद हो सकते हैं।
- कम कार्बोहाइड्रेट वाले आहार पर विचार करें: कुछ स्वास्थ्य सेवा प्रदाता इंसुलिन के स्तर को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए कम कार्बोहाइड्रेट वाले आहार की सलाह दे सकते हैं।
नियमित व्यायाम: शारीरिक गतिविधि रक्त शर्करा के स्तर को कम करने, इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने, वजन को नियंत्रित करने, मूड को बेहतर बनाने और हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है। प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाले व्यायाम का लक्ष्य रखें। कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का संयोजन फायदेमंद हो सकता है।
तनाव प्रबंधन: लगातार तनाव से हार्मोनल असंतुलन बिगड़ सकता है। योग, ध्यान, गहरी साँस लेना और पर्याप्त नींद लेना जैसी तकनीकें मददगार हो सकती हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार निम्न स्थितियों के लिए:
- मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने के लिए:
- अण्डोत्सर्ग में सहायता के लिए (गर्भधारण करने का प्रयास कर रही महिलाओं के लिए):
- अत्यधिक बाल विकास (हिर्सुटिज़्म) और मुँहासे को कम करने के लिए:
- इंसुलिन प्रतिरोध को प्रबंधित करने के लिए: